Saturday, 22 June 2013

दीया हम देंगें-चलो बन जायैगें, बाती देंगै-चलो बँट भी हम देंगें, सनेह भी हम देंगें-चलो उर से टपकाते रहैंगें, फिर भी- अपने हिस्से का दीया तो खुद ही जलाना होगा।

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