वर्जित वृत्तियाँ, निश्चित रूप से पूर्णतः वर्जित नहीं प्रतीत होती, मात्रा निर्धारण अत्यन्त कठिन है,अनुचित मात्रा सर्वनाश कर सकती है अतः इन कथित रूप से वर्जित वृत्तियों की सम्यक -समुचित, आनुपातिक मात्रा का ज्ञान ही शिक्षा है, अनुसंधान है, विवेचना और विश्लेषण है।
यही कर्म सुकौशल है, समुचित अनुपात का ज्ञान ही विवेक है।
यही कर्म सुकौशल है, समुचित अनुपात का ज्ञान ही विवेक है।
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