Monday, 19 August 2019

बड़प्पन तुम्हारा , तुम्हें मुबारक

तुम तो बड़े हो ही, रहोगे ही ; तुम्हें कोई छोटा कह , कर या बोल भी देगा तो कोइ खास फर्क नहीं पड़ेगा, तुम उसे नजरअन्दाज भी कर सकते हो - माफ कर दोगे तो और भी बड़े हो जाओगे ।
जन्म-जात जो बड़े ठहरे - थोड़ा बहुत उपर-नीचे, इधर-उधर भी करोगे तो शायद चल जायेगा - किसी की क्या हिम्मत जो अंगुली भी उठाये ।
पर प्लीज , मुझे मेरे हाल पर छोड़ देना ।
मुझे छोटा कह डालोगे ( यद्यपि मैं हूँ ) तो मेरा शेष ( हो सकता है तुम्हारा भी ) जीवन ही मुश्किल हो जायेगा ।
मुझे मैं जैसा हूँ, वैसा बस रहने भर दो ।
अपने दम पर !!

तुम्हारी दया या तरस या भीख, रहम या करम पर नहीं !!
या फिर मुझे तुम्हारे बड़प्पन से ही निपटना पड़ेगा हर चौक - चौपाल - चौरस्ते - चौराहे - नुक्कड़ - मोड़ पर .
हो सका है तुम्हारा बड़प्पन खतरे में पड़ जाये.

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