एक रात मैं अपने घर के बाहर पपीते के पेड़ की ओट हो गया। शाम हो चुकी थी। बिजली लाइन गई हुई थी। अंधेरा हो चला था। मेरी पत्नी घर से बाहर निकली। शायद गाय घर तरफ जाना था। एकाएक मैं ने पपीते की एक डाल (एक पत्ता ) को नचाना शुरू किया और कुछ आवाज करते हुए अपनी पत्नी की तरफ मुँह शरीर को पत्ते की आड़ में छिपाते आगे बढ़ा। मेरी पत्नी इस अनायास हरकत से बुरी तरह डर गई। जोर जोर से चिल्लाने लगी। बच्चे उनकी घर के अंदर चिल्लाहट सुन डर कर चिल्लाने लगे। माँ दौड़ कर चिल्लाते हुए बाहर भागी। भाभी अलग भागी। लोगों को लगा अंधेरे में कुछ काट गया।
मैं भी घबरा गया। पाँच सात मिनट लग गये सब को सब कुछ समझने, समझाने और शांत होने में।
माँ से अच्छी डांट मिली।
मैडम कई दिन नाराज रही।
बच्चे बहुत दिन डरे डरे रहे।
शरारत मुझे इतनी शायद नहॉ करनी चाहिये थी। लगभग 35 की मेरी उम्र हो चुकी थी।
सो सॉरी !!
मैं भी घबरा गया। पाँच सात मिनट लग गये सब को सब कुछ समझने, समझाने और शांत होने में।
माँ से अच्छी डांट मिली।
मैडम कई दिन नाराज रही।
बच्चे बहुत दिन डरे डरे रहे।
शरारत मुझे इतनी शायद नहॉ करनी चाहिये थी। लगभग 35 की मेरी उम्र हो चुकी थी।
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