रास्ते खड़े नहीं रहते,
न वे ठहरते है
मंजिलों की बाट जोहते
रास्ते कभी रूका नहीं करते।
मंजिले न भी हो तो
रास्ते होश नहीं खोते
पस्त नहीं पड़ते
सुस्त होना रास्तों की फितरत नही।
नदी, नाले या पहाड़
रास्ते को रोक नहीं पाते
रास्तों को नहीं चाहिये
खास किस्म की मट्टी
या कि खास तरह का मौसम
रास्ते तो पैदा हो जाते हैं
समुद्र की छाती पर।
गहराइयों में भी रास्ते बने मिलते है
शुन्य से व्योम तक
नभ से अवनी तक
पहाड़ से पाताल तक
प्रकाश से अन्धकार तक
ये रास्ते आज के नहीं है
मंजिले बनाये जाने के बहुत पहले ही
रास्ते बने बनाये थे
रास्ते अनन्त है
रास्ते रूप लिये तो हैं ही
रास्ते अरुप भी है
रास्ते विचार भी है
रास्ते यात्रा है
रास्ते कल्पना ही नहीं
यथार्थ भी है
रास्ते केवल मंजिलों के लिये नहीं होते
रास्ते रास्तों के लिये भी होते हैं
रास्ते वहाँ भी होते हैं
जाँ रास्ते नहीं होते
रास्ते अन्धेरे रास्तों से भी होते हैं
रास्तैबंद रास्तों के बाद भी होते हैं
रास्ते आकाश, पाताल-
या कि आग औ पानी
घड़ी, साईत -संजोग
झंझावात या आघात
नरम हो या गरम
से डरा नही करते
रास्ते मंजिलों के लिये
न रुकते हैं
न झुकते है
मंजिले खुद चल कर आती है
रास्तों के पास
रास्ता ही तो मंजिल का अस्तित्व है
रास्ता ही तत्व है
रासते पर चलना ही धर्म है
पथिक का धर्म
मंजिल का मर्म्
रास्ता ही तो है
न वे ठहरते है
मंजिलों की बाट जोहते
रास्ते कभी रूका नहीं करते।
मंजिले न भी हो तो
रास्ते होश नहीं खोते
पस्त नहीं पड़ते
सुस्त होना रास्तों की फितरत नही।
नदी, नाले या पहाड़
रास्ते को रोक नहीं पाते
रास्तों को नहीं चाहिये
खास किस्म की मट्टी
या कि खास तरह का मौसम
रास्ते तो पैदा हो जाते हैं
समुद्र की छाती पर।
गहराइयों में भी रास्ते बने मिलते है
शुन्य से व्योम तक
नभ से अवनी तक
पहाड़ से पाताल तक
प्रकाश से अन्धकार तक
ये रास्ते आज के नहीं है
मंजिले बनाये जाने के बहुत पहले ही
रास्ते बने बनाये थे
रास्ते अनन्त है
रास्ते रूप लिये तो हैं ही
रास्ते अरुप भी है
रास्ते विचार भी है
रास्ते यात्रा है
रास्ते कल्पना ही नहीं
यथार्थ भी है
रास्ते केवल मंजिलों के लिये नहीं होते
रास्ते रास्तों के लिये भी होते हैं
रास्ते वहाँ भी होते हैं
जाँ रास्ते नहीं होते
रास्ते अन्धेरे रास्तों से भी होते हैं
रास्तैबंद रास्तों के बाद भी होते हैं
रास्ते आकाश, पाताल-
या कि आग औ पानी
घड़ी, साईत -संजोग
झंझावात या आघात
नरम हो या गरम
से डरा नही करते
रास्ते मंजिलों के लिये
न रुकते हैं
न झुकते है
मंजिले खुद चल कर आती है
रास्तों के पास
रास्ता ही तो मंजिल का अस्तित्व है
रास्ता ही तत्व है
रासते पर चलना ही धर्म है
पथिक का धर्म
मंजिल का मर्म्
रास्ता ही तो है
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