Tuesday, 1 October 2013

अभी अभी खबर आई है,, मैं जो भी हूँ तुम्हीं से हूँ

देखा है मैंने चाँद को कहते, हर रात चाँदनी से-
चली आओ चाँदनौ तुम, मैं जो भी हूँ तुम्हीं से हूँ।

बगीचे में घूमते मैंने देखा है,हर फूल को कहते-
चली आऔ सुगन्ध तुम, मैं जो भी हूँ तुम्हीं से हूँ।

चाँदनी को चलते चाँद की ओर देखा है मैंने अभी
सुगन्ध चले जा रही थी फूलों कीओर अभी-अभी।

समुद्र की हर लहर पुकारती थी, चली जा रही थी
देखा है जाते समुद्र को नदियो की ओर अभी अभी।


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