जिसे आप सुन्दर मानते हैं, या जानते हैं वह आपके बनाये पैमानों पर नापा
तौला या बना -बनाया या परखा गया सौन्दर्य है, आपकी सीमा के बाहर वह क्या है
उसे आप नहीं जानते। उसी प्रकार आपकी सीमा के बाहर बहुत कुछ है।
आपकी सीमा के अन्दर भी अनन्त मूल्य हैं, मापदन्ड है- उनपे कसे जाने पर आपकी कल्पित सुन्दरता का क्या होगा , कम से कम मैं तो नहीं ही जानता।
सुन्दरता पूर्णतः व्यक्तिगत धारणा है।
उसी प्रकार न्याय भी।
समाज ने व्यवस्था के लिये कुछ व्यापक मापदन्ड स्विकार किये-करवाये हैं।
कुछ समय के साथ स्वतः स्वीकृत हुए, कुछ मजबूरी में विकल्प न रहने के कारण स्वीकार कर लिये गये।
इन सब के बाद भी हमारा, आपका जो व्यक्तिगत सोचना था, व्यक्तिगत हित था, हमारी जो व्यक्तिगत धारणा थी वह सब समाज के साथ जब -तब बेमेल हो ही जाती है, संघर्ष पर उतर ही आती है और हम समाज के दृष्टिकोण में बदलाव के लिये प्रयास करने लगते हैं।
आपकी सीमा के अन्दर भी अनन्त मूल्य हैं, मापदन्ड है- उनपे कसे जाने पर आपकी कल्पित सुन्दरता का क्या होगा , कम से कम मैं तो नहीं ही जानता।
सुन्दरता पूर्णतः व्यक्तिगत धारणा है।
उसी प्रकार न्याय भी।
समाज ने व्यवस्था के लिये कुछ व्यापक मापदन्ड स्विकार किये-करवाये हैं।
कुछ समय के साथ स्वतः स्वीकृत हुए, कुछ मजबूरी में विकल्प न रहने के कारण स्वीकार कर लिये गये।
इन सब के बाद भी हमारा, आपका जो व्यक्तिगत सोचना था, व्यक्तिगत हित था, हमारी जो व्यक्तिगत धारणा थी वह सब समाज के साथ जब -तब बेमेल हो ही जाती है, संघर्ष पर उतर ही आती है और हम समाज के दृष्टिकोण में बदलाव के लिये प्रयास करने लगते हैं।
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