रास्तों में दफन है कितनी मंजिलें
ये मंजिलों को आगे आने ही नहीं देते .
कितने कारवों को छिपा लिये फिरते
की दास्ताँ कहीं आम न हो जाये .
रेत गर्म हो ,कदमों को जलाती हो
गहरा समन्दर हो ,सपनें डूबाता हो
तूफान हो , अँधेरा हो ,कुछ नहीं हो
फिर भी वक्त की छाती पर अब
एक निशान अपना मिटा नहीं सकोगे .
भले वक्त गुजर जाये कई बार ,
रास्ते पुकारते रह जायेंगें
मंजिले हर कदम मौजूद रहेगी
गर्म रेत नखलिस्तान बनायेगी
समन्दर कश्ती किनारे लगायेगा
तूफ़ान हिफाजत का वादा करेगा
अँधेरा रौशनी लिये आयेगा
पर वक्त की छाती का वह निशान
जमाने को हमारी याद दिलायेगा .
ये मंजिलों को आगे आने ही नहीं देते .
कितने कारवों को छिपा लिये फिरते
की दास्ताँ कहीं आम न हो जाये .
रेत गर्म हो ,कदमों को जलाती हो
गहरा समन्दर हो ,सपनें डूबाता हो
तूफान हो , अँधेरा हो ,कुछ नहीं हो
फिर भी वक्त की छाती पर अब
एक निशान अपना मिटा नहीं सकोगे .
भले वक्त गुजर जाये कई बार ,
रास्ते पुकारते रह जायेंगें
मंजिले हर कदम मौजूद रहेगी
गर्म रेत नखलिस्तान बनायेगी
समन्दर कश्ती किनारे लगायेगा
तूफ़ान हिफाजत का वादा करेगा
अँधेरा रौशनी लिये आयेगा
पर वक्त की छाती का वह निशान
जमाने को हमारी याद दिलायेगा .
No comments:
Post a Comment