कितने ऐसे हैं जो निर्दोष हैं पर अपमानजनक दुःखदायी उबाऊ प्रक्रिया भोगने को विवश होंगे . पर वे जानते हैं और समाज भी जानता है की उनके साथ न्याय नहीं हो रहा . समाज की सहानुभुति उनके साथ होती है .
दूसरी और कुछ ऐसे हैं जिनका हर कुछ किया समाज के सामने है ,समाज उससे छुब्ध है , पीड़ित है ,शर्मिंदा है ,संस्थाएं जड़ तक से हिल चुकी है ,समाज का विश्वास उनके कामों -करतूतों से डगमगा रहा है .पर किन्हीं कारणों से उनका सब कुछ सामने आने के बाद भी बचे-खुचे समाज और सामाजिक विश्वास को बचाए रखने
रखने के लिये उनके विरुद्ध कोई प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की गयी. पर समाज तो उनके किये से लज्जित तो है ही न ,समाज के सामने तो उनका किया सब कुछ सामने आ ही गया . उनका विशेष कुनबा,उनकी विशेष धरती पीड़ा -अपमान से कराह रही होगी और उनके पास बस बेशर्म की तरह खीस निपोरते अपने स्खलित सम्मान की छिन्न -भिन्न दागदार काली धूमिल हो रही चद्दर को यह वहाँ पसरते , छिपाते ,सकुचाते या निर्लज्जता से नुमाईस करते रह जायेंगें .
दूसरी और कुछ ऐसे हैं जिनका हर कुछ किया समाज के सामने है ,समाज उससे छुब्ध है , पीड़ित है ,शर्मिंदा है ,संस्थाएं जड़ तक से हिल चुकी है ,समाज का विश्वास उनके कामों -करतूतों से डगमगा रहा है .पर किन्हीं कारणों से उनका सब कुछ सामने आने के बाद भी बचे-खुचे समाज और सामाजिक विश्वास को बचाए रखने
रखने के लिये उनके विरुद्ध कोई प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की गयी. पर समाज तो उनके किये से लज्जित तो है ही न ,समाज के सामने तो उनका किया सब कुछ सामने आ ही गया . उनका विशेष कुनबा,उनकी विशेष धरती पीड़ा -अपमान से कराह रही होगी और उनके पास बस बेशर्म की तरह खीस निपोरते अपने स्खलित सम्मान की छिन्न -भिन्न दागदार काली धूमिल हो रही चद्दर को यह वहाँ पसरते , छिपाते ,सकुचाते या निर्लज्जता से नुमाईस करते रह जायेंगें .
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