तो क्या कोई नया आदमी किसी नये तराजू से, नये बटखरों से मुझे तौल रहा है .
न मुझे अपना वजन ,कद ,आकार या गहराई का कोई आभास आज तक हो सका है , न ही मुझे उनके तराजू , बटखरे ,उनके माप-तौल के तौर तरीके की कोई जानकारी है ,उनकी नीयत और अपनी नियति की भी तो कोई पूरी पूरी जानकारी नहीं है .-देखूं तो सही, अंततः मैं कहाँ ठहरता हूँ .
मैं तो बस निरपेक्ष चल भर रहा हूँ - लगातार चलता रहूँगा - देखूं कहाँ ,कब ,कैसे पहुँचता हूँ , कितना ,कैसे ,कब तक ठहरता हूँ
साठ साल की यात्रा है . हिसाब किताब करने में कुछ समय तो लगेगा ही .आप सब को इतना कुछ बताते जाना है,बताने में तो समय लगेगा ही .कैसे ,कब कितना ,किसको और क्यों बताऊँ .
क्या उचित है ?
क्या न्यायपूर्ण है ?
क्या और कितना ,कब और कब तक नैतिक है , सामाजिक है ?
अनंत प्रश्न है .निरंतर प्रश्न आते ही जा रहे हैं ,मैं प्रश्नों को न तो आने से रोक पा रहा हूँ ,न रोकना चाहता हूँ और प्रश्नों को रोकना मुझे उचित नहीं लगता . प्रश्न है तो प्रवाह है .प्रश्न है तो प्रेरणा है ,प्रश्न ही तो स्पंदन है .
न मुझे अपना वजन ,कद ,आकार या गहराई का कोई आभास आज तक हो सका है , न ही मुझे उनके तराजू , बटखरे ,उनके माप-तौल के तौर तरीके की कोई जानकारी है ,उनकी नीयत और अपनी नियति की भी तो कोई पूरी पूरी जानकारी नहीं है .-देखूं तो सही, अंततः मैं कहाँ ठहरता हूँ .
मैं तो बस निरपेक्ष चल भर रहा हूँ - लगातार चलता रहूँगा - देखूं कहाँ ,कब ,कैसे पहुँचता हूँ , कितना ,कैसे ,कब तक ठहरता हूँ
साठ साल की यात्रा है . हिसाब किताब करने में कुछ समय तो लगेगा ही .आप सब को इतना कुछ बताते जाना है,बताने में तो समय लगेगा ही .कैसे ,कब कितना ,किसको और क्यों बताऊँ .
क्या उचित है ?
क्या न्यायपूर्ण है ?
क्या और कितना ,कब और कब तक नैतिक है , सामाजिक है ?
अनंत प्रश्न है .निरंतर प्रश्न आते ही जा रहे हैं ,मैं प्रश्नों को न तो आने से रोक पा रहा हूँ ,न रोकना चाहता हूँ और प्रश्नों को रोकना मुझे उचित नहीं लगता . प्रश्न है तो प्रवाह है .प्रश्न है तो प्रेरणा है ,प्रश्न ही तो स्पंदन है .
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