मन की मिठास तुम्हे दिखाना चाहता हूँ ,कह कर बताने से क्या होगा , चख कर तो सभी जानते पहचानते है ,
मैं तुम्हे मीठास अपने मन की सरे आम असल शकल में रु बरु दिखाना चाहता हूँ .
एक बार मेरे अन्दर की बात जब मैं असालतन दिखा सकूंगा और तुम देख सकोगे तब मेरे अन्दर की मिठास के अलावा और भी बहुत कुछ है , वह सब देखा और दिखाया जा सकेगा .
यह काम बड़ा कठिन सा है ,देखूं कितना कर सकूँगा .
मीठा -खट्टा , तीता -नमकीन ,कसैला -खारा ,पनियाया -सूखा - कैसा कैसा ,ऐसा -वैसा -सभी कुछ तो होता है - सभी कुछ मेरे पास भी है ही बस मैं उसे चखने-चखने की सीमा से आगे साक्षात् देखने-दिखाने तक ले जाना चाहता हूँ ,सबके साथ बाँट लेना चाहता हूँ .
मैं तुम्हे मीठास अपने मन की सरे आम असल शकल में रु बरु दिखाना चाहता हूँ .
एक बार मेरे अन्दर की बात जब मैं असालतन दिखा सकूंगा और तुम देख सकोगे तब मेरे अन्दर की मिठास के अलावा और भी बहुत कुछ है , वह सब देखा और दिखाया जा सकेगा .
यह काम बड़ा कठिन सा है ,देखूं कितना कर सकूँगा .
मीठा -खट्टा , तीता -नमकीन ,कसैला -खारा ,पनियाया -सूखा - कैसा कैसा ,ऐसा -वैसा -सभी कुछ तो होता है - सभी कुछ मेरे पास भी है ही बस मैं उसे चखने-चखने की सीमा से आगे साक्षात् देखने-दिखाने तक ले जाना चाहता हूँ ,सबके साथ बाँट लेना चाहता हूँ .
No comments:
Post a Comment