Monday, 9 March 2015

जितना उगा हूँ कम नहीं है , जितना थमा हूँ कम नहीं है , जितना जमा हूँ कम नहीं है , जितना रमा हूँ कम नहीं है , बिना बीज , जड़ , सहारे , खाद , मिटटी , जमीन , हवा के और क्या खोजते हो .
जब भी मिला जला देने वाली धुप , डूबा देने वाली गहराई ,  दमघोंटू अँधेरा या सीलन या सिहरावन पैदा करने वाला सन्नाटा , उखाड़ देने वाला तूफ़ान या उड़ा देने वाली आंधी .सब और अनजान -कोई पहचान वाला नहीं . फिर भी हूँ , पूरी ताकत से हूँ ,रहूँगा .
हाँ , आप चले गये ,मैं अभी हूँ , आगे भी रहूँगा , किसी दिन मैं भी चल दूंगा - कल या परसों या तरसों या फिर किसी और दिन .

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