Saturday, 21 March 2015

नकल से , टैक्स चोरी से , ट्रेन में बर्थ मैनेज करने-करवाने में , घूस देने ,दिलाने और लेने में , मिलावट में , माँ -बहन-बेटी की मर्यादा के खिलाफ शब्दावली का घर तक में घर के ही पुरुषों ही नहीं ,महिला सदस्यों तक द्वारा प्रयोग , बलात्कार ,नकली -सामान बनाने -बेचने , नजराना , पेशी ,रसिदाना ,मामूली ,बक्शीश ,सलामी , डाली चंदा , गिफ्ट ,खुशीसे ,कर्टशी आदि से हम घृणा नहीं करते - आखिर क्यों ?
 पोर्नोंग्राफी से घृणा नहीं करते .
चटकारे लेकर विवरण शेयर किये जाते है .
वजन कम कैसे तौला जाये ,कैश मेमो की जगह एस्टीमेट स्लिप का प्रयो क्यों और कैसे .नकली मोहर कैसे बनती है ,कहाँ बनती है .
चेन पुल्लिंग कब ,क्यों और कैसे . '
परीक्षा में नकल की अकल .
बहाली में अन्दर खाने की अकल .
 कोर्ट में भी अकल और अंकल .
प्रमोशन के पीछे की कहानी .
कचहरी कि अलग  ही अकल , सीमाओं पर कैरियर की अकल , बच्चों -बालिकाओं के कैरियर -लोडिंग -- अनलोडिंग ,हायरिंग , लीज के धंधे के इन्स एंड आऊट्स , रेस ,आखर ,फाटका , ड्रग्स , सिस्को -,कोड लेन्न्ग्वेज ,पेट्रोल पम्प की ,खानों की अकल ,एक्सपोर्ट बीजक की अकल , दोहरे -एकाउंट की अक्ल ,ठेकेदारी की अकल, डाक्टरी पेशे के अन्दर की अकल , यह सब बड़े मनोयोग से सीखे जाने और सीखाये जानी वाली विद्या है .
फब्तियां ,लटके- झटके तो दादा साहेब फाल्के पुरुस्कार वाले सिखा ही देते हैं .
फिक्सिंग, मिक्सिंग किसिंग ,सिटिंग -कब हम इन सबसे घृणा करते हैं - शब्द वीर दिन रात विशेष चित्रों के साथ नख-शिख वर्णन -साहित्य उत्पादित करते रहते है,प्रशिक्ष्ण अपने आप होता रहता है - हम सब कब घृणा करते है -टिकट दे दे -दिला दे , पैसे दे दे -दिला दे - पैसे ले ले- सरकार बना दे - बचा ले -गिरा दे ,खेल में खेल कर ,कोयले में खेल कर ,- इन सब से हम सब कब घृणा करते हैं -- चटकारे लेकर इन सब की कला सीखना कब बंद करते हैं हम .
जब तक हम इनसे घृणा करना नहीं सीखेंगे ,नहीं सिखायेंगे, इन सबसे घृणा वास्तव में हमारे स्वभाव में नहीं आयेगा -तब तक यह सब हम -आप सभी चलाते रहेंगे .
सब के सामने चिल्ला कर नाराजगी दिखा दी  और लगे वह विद्या सीखने,- यह नहीं चलेगा

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