ऋण की बात ही नहीं है. आपके विचारों से प्रभावित होता हूँ तभी post लाइक करता हूँ. आपके कुछ पोस्ट तो इतने प्रभावशाली थे की आज तक याद हैं. ' सर्व धर्म परितज्य मामेकं शरण ब्रज' पर आधारित कुछ माह पहले का आपका पोस्ट अत्यधिक पसंद आया था। शेयर करना चाहा ताकि और लोग लाभान्वित हों पर नीचे की कुछ पंक्तियाँ अधिक नास्तिकतावादी थीं इसलिए नहीं कर पाया ., थोड़ा आस्तिक हूँ इसलिए। एडिट कर री-पोस्ट करने का साहस नहीं हुआ. अगर आपको फील होता है की रूटीन मैंनर में लाइक कर रहा हूँ तो आपके परसेप्शन का को कटाने की हिम्मत नहीं कर सकता क्योंकि आप बड़े भाई हैं, श्रद्धेय हैं, आपकी बात बिना गुण-दोष का विचार किये मानना मेरा कर्तव्य है, मेरा संस्कार है और मेरे लिए लाभदायक भी , लेकिन इतनी गुजारिश जरूर करूंगा की तब आप यह समझें की अहसान के लिए नहीं बल्कि सम्मान और प्यार प्रकट करने के लिए लाइक करता हूँ. . आप कितने संवेदनशील मैं जनता हूँ. यह बात तब भी महसूस कर लेता था जब बहुत छोटा था . मैं भी एक संवेदनशील व्यक्ति हूँ और मुझे 'अहसान' शब्द से चोट पहुंचती है. विशेषकर जब बड़े भाई ऐसा कहें। पिताजी के मन आपके प्रति कितना गहरा, अनुराग और सम्मान था शायद इसे दुहराने की मुझे आज जरुरत नहीं क्योंकि आप उन चीजों से वाकिफ हैं . पर इतना बता दूँ की आप दोनों भाइयों ने शुरुआती दौर में कितना स्ट्रगल किया था वह बताते थे ताकि हम प्रेरित हो सकें और किसी चीज को विकास में बाधक न समझें, वो आपका नाम सम्मान से लिया करते थे। हम जिस टिफिन बॉक्स में स्कूल में खाना कहते थे उस पर आपकी हैंडराइटिंग में हमारा नाम लिखा होता था।। इस तरह ऋणी तो हम आपके है. वह प्यार कैसे भूल सकता हूँ। आज अपनी अपार व्यस्ताओं के बाद भी आप अपने कीमती अनुभव और विचार बांटते है वह समाज सेवा से कम नहीं , क्योंकि सब लोग ऐसा नहीं कर सकते। सब के पास अनुभव है पर शब्द और शैली नहीं , सबके पास निरपेक्ष विचार करने की क्षमता भी नहीं। आप इन सभी मामलों में भाग्यशाली हैं। मैं अपना सम्मान और प्यार प्रकट करता ही रहूँगा। कृपया अन्यथा न लेंगे …… सादर, आपका अनुज Dhirendra Mishra inboxed me on FB messages
Thursday, 19 March 2015
ऋण की बात ही नहीं है. आपके विचारों से प्रभावित होता हूँ तभी post लाइक करता हूँ. आपके कुछ पोस्ट तो इतने प्रभावशाली थे की आज तक याद हैं. ' सर्व धर्म परितज्य मामेकं शरण ब्रज' पर आधारित कुछ माह पहले का आपका पोस्ट अत्यधिक पसंद आया था। शेयर करना चाहा ताकि और लोग लाभान्वित हों पर नीचे की कुछ पंक्तियाँ अधिक नास्तिकतावादी थीं इसलिए नहीं कर पाया ., थोड़ा आस्तिक हूँ इसलिए। एडिट कर री-पोस्ट करने का साहस नहीं हुआ. अगर आपको फील होता है की रूटीन मैंनर में लाइक कर रहा हूँ तो आपके परसेप्शन का को कटाने की हिम्मत नहीं कर सकता क्योंकि आप बड़े भाई हैं, श्रद्धेय हैं, आपकी बात बिना गुण-दोष का विचार किये मानना मेरा कर्तव्य है, मेरा संस्कार है और मेरे लिए लाभदायक भी , लेकिन इतनी गुजारिश जरूर करूंगा की तब आप यह समझें की अहसान के लिए नहीं बल्कि सम्मान और प्यार प्रकट करने के लिए लाइक करता हूँ. . आप कितने संवेदनशील मैं जनता हूँ. यह बात तब भी महसूस कर लेता था जब बहुत छोटा था . मैं भी एक संवेदनशील व्यक्ति हूँ और मुझे 'अहसान' शब्द से चोट पहुंचती है. विशेषकर जब बड़े भाई ऐसा कहें। पिताजी के मन आपके प्रति कितना गहरा, अनुराग और सम्मान था शायद इसे दुहराने की मुझे आज जरुरत नहीं क्योंकि आप उन चीजों से वाकिफ हैं . पर इतना बता दूँ की आप दोनों भाइयों ने शुरुआती दौर में कितना स्ट्रगल किया था वह बताते थे ताकि हम प्रेरित हो सकें और किसी चीज को विकास में बाधक न समझें, वो आपका नाम सम्मान से लिया करते थे। हम जिस टिफिन बॉक्स में स्कूल में खाना कहते थे उस पर आपकी हैंडराइटिंग में हमारा नाम लिखा होता था।। इस तरह ऋणी तो हम आपके है. वह प्यार कैसे भूल सकता हूँ। आज अपनी अपार व्यस्ताओं के बाद भी आप अपने कीमती अनुभव और विचार बांटते है वह समाज सेवा से कम नहीं , क्योंकि सब लोग ऐसा नहीं कर सकते। सब के पास अनुभव है पर शब्द और शैली नहीं , सबके पास निरपेक्ष विचार करने की क्षमता भी नहीं। आप इन सभी मामलों में भाग्यशाली हैं। मैं अपना सम्मान और प्यार प्रकट करता ही रहूँगा। कृपया अन्यथा न लेंगे …… सादर, आपका अनुज Dhirendra Mishra inboxed me on FB messages
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