Premendra Mishra आप तो खुद न्यायाधीश है और संयोग से आम न्यायाधीशों की तरह नहीं। इसलिए आप तटस्थ हो कर हालात देख सकते हैं। मैं लगातार न्यायिक सेवा के अधिकारिओं के संपर्क में रहा हूँ। उनका सामान्य ज्ञान , तकनीक खास कर संचार साधनो से जुड़ा ज्ञान कितना प्रखर है आपको पता ही होगा। वे अपने समार्ट फोन का कितना इस्तेमाल जानते है , मेल , व्हाट्सएप्प , एफबी , ऑरकुट के सम्बन्ध में उनकी जानकारी कितनी गहन है आप जरूर जानते होंगे। पेट के रोगों खास कर गैस , अनपच तथा नेचरोपैथी के बारे में अधिकतर का ज्ञान अनुकरणीय है। सामान्य सचेतता , अपने आस पास के घटनाक्रम , सामाजिक गतिविधियाँ , कला संस्कृति, समय के साथ आते बदलावों के बारे में उनकी समझ अतुलनीय है। विनम्रता तो न्यायिक अधिकारीयों से ही सीखी जा सकती है , अहंकार तो उन्हें छूता भी नहीं। धार्मिक मामलों में तो बड़े बड़े साधु संत ज्ञानी प्रवचनकर्ता फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के सामने टिक नहीं सकते। समाज से संवाद भी जारी रहता है। कई ऐसे अधिकारी है जो आज भी तेंदुलकर को क्रिकेट सीखा दें। अंत में यही कहूँगा - जय हो , भारत भाग्य विधाता तेरी जय हो
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