कभी कभी कोई कदम शुरुआत में मुश्किल , असम्भव ,अटपटा , अस्वाभाविक सा दीखता है - केवल दूर दृष्टि वाले आत्मविश्वास और धैर्य के सहारे वैसे कदम उठा ले जाते हैं और असम्भव दिखने वाला कार्य कर गुजरते हैं जिसका प्रभाव युगों पर होता है .
शेष तो यथास्थितिवादी सुरक्षित चलते -खेलते और करते आये ही हैं और उनके इसी यथास्थितिवाद के कारण क्रमशः जड़ता विष बेल की तरह पूरे समाज को सड़ा डालती है .
प्रगति के ध्वजवाहक पहली श्रेणी के लोग ही है - शेष तो पराश्रयी -परजीवी भार बन कर रह ही जाते हैं .
शेष तो यथास्थितिवादी सुरक्षित चलते -खेलते और करते आये ही हैं और उनके इसी यथास्थितिवाद के कारण क्रमशः जड़ता विष बेल की तरह पूरे समाज को सड़ा डालती है .
प्रगति के ध्वजवाहक पहली श्रेणी के लोग ही है - शेष तो पराश्रयी -परजीवी भार बन कर रह ही जाते हैं .
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