Friday, 13 March 2015



आज वह टैनीया (ट्रेनी ) है
कल वह उस्ताद हो जायेगा
बस उसे बर्दास्त करना है
आज के उस्ताद के नखरे .
अंदर का भेद बतायेगा यही
बस भेद को दबाये रखना है
भेद जानने को भेदिया बनो
बस बर्दास्त करो सारे नखरे
आज का जमूरा ,कल मदारी
पर बन्दर तो वही रहता है
नचाने के पहले बहुत नाचा
सब कुछ सहना पड़ता है .

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