Friday, 13 March 2015

गाँधी गिर गये ,या गाँधी को गिरा दिया गया , या गिराया जा रहा है -इससे गाँधी क्या गिर ही गये .
गाँधी मर गये ,या गाँधी को मार दिया गया , या आज मारा जा रहा है -इससे गाँधी क्या मर ही गये .
गाँधी गिरने गिराने ,मरने मारने से उपर ,उन्हें/उनके गिरने-गिराने या मरने -मरने की बात बेमानी है
वे जो एक हद छू लेते है ,बन जाते जो नजीर अपने काम से , उनके नाम को यूँ बेचना ही बेईमानी है

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