समय की रेत पर जो पड़ चुके हैं ये निशान मेरे यूँ चलने से , उसे तुम यों मिटा न पाओगे
जब भी चला हूँ ,जैसा भी चला हूँ ,जी भर चला हूँ ,मेरे साथ चली हवा , उसे हटा न पाओगे .
मेरे निशानों का मेरे चलने से अजीब रिश्ता रहा ,मेरे चलने के आगे आगे मेरे निशान चले
इन हवाओं का रंग भी हरपल अलग सा होता रहा ,मैं चलता रहा था, ये मचलती रही थी
जब भी चला हूँ ,जैसा भी चला हूँ ,जी भर चला हूँ ,मेरे साथ चली हवा , उसे हटा न पाओगे .
मेरे निशानों का मेरे चलने से अजीब रिश्ता रहा ,मेरे चलने के आगे आगे मेरे निशान चले
इन हवाओं का रंग भी हरपल अलग सा होता रहा ,मैं चलता रहा था, ये मचलती रही थी
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