मृत्यु प्रकृति है , अथवा हादसा . हादसा भी प्रकृति ही तो है .
मृत्य पर प्रसन्नता बहुत दिन नहीं टिकती । शोक कुछ ज़्यादा दिन रहता है । और अंत में उस प्रसन्नता और शोक दोनों की मृत्यु हो जाती है ।
मृत्य पर प्रसन्नता बहुत दिन नहीं टिकती । शोक कुछ ज़्यादा दिन रहता है । और अंत में उस प्रसन्नता और शोक दोनों की मृत्यु हो जाती है ।
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