जंगल के इन पेड़ों को ठूंठ नहीं मैं होने दूंगा
इतने सारे वादे, ये मेरे , झूठ नहीं होने दूंगा
धरती मेरी ,अम्बर मेरा,बंजर नहीं होने दूंगा
तू मेरा ,मैं तो तेरा ,हाथ में खंजर न होने दूंगा
हरे भरे इस उपवन को , मैं न अब जलने दूंगा
आँखों के निर्मल जल को ,न अब मैं मरने दूंगा
इतने सारे वादे, ये मेरे , झूठ नहीं होने दूंगा
धरती मेरी ,अम्बर मेरा,बंजर नहीं होने दूंगा
तू मेरा ,मैं तो तेरा ,हाथ में खंजर न होने दूंगा
हरे भरे इस उपवन को , मैं न अब जलने दूंगा
आँखों के निर्मल जल को ,न अब मैं मरने दूंगा
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