Tuesday, 30 December 2014

मेरी यात्रा के कुछ रोचक विवरण -
पहली कमाई ठीक हायर सेकेंडरी एक्जाम के बाद तीन पेंट पीस बिक्री कर कलकत्ता में
२ रुपये पचास पैसे दिये मुझे जुमाई  यादव ने दिन भर नागा बीघा में उसके खेत में जापानी विधि से रोपनी में सहयोग करने पर .
२ रूपये पचास पैसे मिलते थे दिन भर अमरुद के पेड़ के नीचे चारा कुट्टी मशीन पर काम करने पर.
५ रूपये पचास ऐसे में पचास अख़बार खरीदता था और पटना स्टेसन पर सुबह पहले साढ़े सा त रूपये में बेच देता था .
एक बार के बाद पांच रूपये मिलते थे .
एक महिना पढ़ाने पर एक किलो सत्तू दिया था ओबरा निवासी सूरज साव ने।
एक महीन पढ़ाने पर पन्द्रह रूपये प्रो बामन
चालान सेल्स टेक्स का ,जो बाद  में पता चला कि दस  पैसे में गुमटियों में मिलता है, की चार प्रतिया छपवाई टाईप  करवा कर दो रूपये में .

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