आज स्वतंत्र भारत के इस दौर में गाँव की पदयात्रा करता हुआ न्यायाधीश देखना सुखद अनुभूति है .आज का न्यायाधीश लोगों तक पहुँच कर जाता है . लड़ गए वे दिन जब मुंसिफ को देखने तक के लिए नजराना देना पड़ता था .अंग्रेजों ने विभिन्न स्तरों पर महलों जैसी इमारतों में विभिन्न न्यायालयों की स्थापना की थी .वे न्यायालयों को राज्य-शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक बनाना चाहते थे.
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