हर कल्पना कब सच होती है ,
पर कल्पना के बिना कभी कुछ सच हुआ है क्या ?
कल्पना करो ,उसे आँखों में बसाओ , उस में आकृति आने देने के लिये अपना खून -पसीना दिन रात डालो ,पर यदि इन सबके बाद भी कुछ न हासिल हो तो फिर से नई कल्पनाओं के साथ वही क्रम दोहराना.
सफलता तुम्हारी होगी ,
असफलता का दोष मेरे पर मढ़ देना ,
असफलता के दौर में लगे साधनों का देनदार मैं सदा रहूँगा .
बस ध्यान रहे असफलता का कारण तुम्हारा आलस्य न बने ,तुम्हारा उन्माद या अतिरेक न हो ,
शेष सारा मेरे ऊपर छोड़ कर लग जाओ .
पर कल्पना के बिना कभी कुछ सच हुआ है क्या ?
कल्पना करो ,उसे आँखों में बसाओ , उस में आकृति आने देने के लिये अपना खून -पसीना दिन रात डालो ,पर यदि इन सबके बाद भी कुछ न हासिल हो तो फिर से नई कल्पनाओं के साथ वही क्रम दोहराना.
सफलता तुम्हारी होगी ,
असफलता का दोष मेरे पर मढ़ देना ,
असफलता के दौर में लगे साधनों का देनदार मैं सदा रहूँगा .
बस ध्यान रहे असफलता का कारण तुम्हारा आलस्य न बने ,तुम्हारा उन्माद या अतिरेक न हो ,
शेष सारा मेरे ऊपर छोड़ कर लग जाओ .
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