बात में दम है - सचमुच केवल इमानदार होने से , योग्य होने से ,संघर्ष करने से ,लड़ने से या किसी चीज के अधिकारी होने से ही कुछ नहीं हो जाता- यहाँ समाज में एक भयंकर जोट्टा बना हुआ है ,एक काकश काम कर रहा है ,दुराभिः संधि है - अहो रूपम , अहो ध्वनिम , मै तेरा -तू मेरा ,सब कुछ छोड़ कर मेरी शरण में आ जा ,मैं तेरे सरे पाप पर पर्दा डाल दूंगा, ,बस मेरे गुट में आजा ,मेरा हो जा , मैं तुम्हें सारे कष्टों से बचा लूँगा बस जैसे मैं कहूँ वैसा करते चल .
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