Wednesday, 14 May 2014

यदि छिपाने के लिये कुछ नहीं है तो डरने के लिये भी कुछ नहीं - बस इसी कारण सर झुकाने के लिये भी कुछ नहीं ,और तब खुशामद के लिये भी कुछ नहीं .
यह निर्भीक अदा बहुतों को रास नहीं आती .पर आप निश्चिंत रहते हैं .

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