Saturday, 17 May 2014

लड़ पड़ोसी, दीद रख .
लड़ने के क्रम में दोस्ती के रास्तों को बंद कर देने से आगे चल कर एक दुसरे के दरवाजे तक जाने में संकोच होता है , आँखें बार बार शर्मिंदा होती है ,मन अपने आप को ही कचोटता रहता है ,

No comments:

Post a Comment