लड़ पड़ोसी, दीद रख .
लड़ने के क्रम में दोस्ती के रास्तों को बंद कर देने से आगे चल कर एक दुसरे के दरवाजे तक जाने में संकोच होता है , आँखें बार बार शर्मिंदा होती है ,मन अपने आप को ही कचोटता रहता है ,
लड़ने के क्रम में दोस्ती के रास्तों को बंद कर देने से आगे चल कर एक दुसरे के दरवाजे तक जाने में संकोच होता है , आँखें बार बार शर्मिंदा होती है ,मन अपने आप को ही कचोटता रहता है ,
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