Monday, 3 March 2014

लप लप लप लपलपाती आग
सप सप सप सपसपाती आग।

अब मत रुक ,छटपटाती भाग
डर मत ,कह ,फुंफकारती जाग।

जबान चिपकी ,तब नैनन बोल
अँधेरी रात के ,सब परदे खोल।  

अब मत लुट , अब मत छोड़
ये सब हैं झूठ ,इनका मद तोड़।


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