कभी कभी बहकते कदम सम्भाल लो, हिम्मत से काम लो।
यही यश है , यही श्रेय है , यही वैभव है ,यही प्रेरणा है , यही शील , है , यही मेधा है , यही शान्ति है।
भूल कभी भी, किसी से भी हो सकती है।
बस सम्भलते रहो , काम करते रहो , आगे बढ़ते रहो।
असवाधान हुए तो भूल हो ही जाएगी , और फिर रह जायेगा केवल पछतावा।
आपकी उम्र , शिक्षा , पद ,अनुभव सब के बाद भी कभी भी आप बहक सकते हैं, बस बहकने के पहले सम्भल जाइये। यही अंत अंत तक का सफल पुरुषार्थ है.
और हाँ , सम्भलना खुद आपको है , बाकि सब तो आपको बहकाने पर लगे हैं , भड़काने पर लगे हैं , बरगलाने पर लगे हैं , उकसाने पर लगे हैं , पटकने -खींचने -पकड़ने पर लगे हैं।
यही यश है , यही श्रेय है , यही वैभव है ,यही प्रेरणा है , यही शील , है , यही मेधा है , यही शान्ति है।
भूल कभी भी, किसी से भी हो सकती है।
बस सम्भलते रहो , काम करते रहो , आगे बढ़ते रहो।
असवाधान हुए तो भूल हो ही जाएगी , और फिर रह जायेगा केवल पछतावा।
आपकी उम्र , शिक्षा , पद ,अनुभव सब के बाद भी कभी भी आप बहक सकते हैं, बस बहकने के पहले सम्भल जाइये। यही अंत अंत तक का सफल पुरुषार्थ है.
और हाँ , सम्भलना खुद आपको है , बाकि सब तो आपको बहकाने पर लगे हैं , भड़काने पर लगे हैं , बरगलाने पर लगे हैं , उकसाने पर लगे हैं , पटकने -खींचने -पकड़ने पर लगे हैं।
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