Sunday, 28 August 2016

बहुत कुछ हुआ जो शायद आपको या मुझे अच्छा नहीं लगा , पर हो गया , कुछ तो होना ही था , बस टाइमिंग आपके या मेरी सहूलियत के अनुसार नहीं थी।
हम और आप दोनों ही उसके होने के बारे में तब भी जानते ही थे , होगा ही ; यह भी जानते ही थे, बस कब होगा इससे अनभिज्ञ थे , और वह अवश्यम्भावी जब भी जैसे भी हुआ उसे तत्काल सहज रूप में समझ या सम्भाल  नहीं पाए  यद्यपि की समय के साथ उसका मर्म समझ ही गए। बीएस इतना ही तो था , है , होगा , होता ही रहेगा।

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