मुझे तुमने दिये जो जख्म ,जालिम : उन्ही को मुझे मत दिखला
उनके चेहरे पर फैली हर मुस्कुराहट, तुम्हारे जुल्म का जबाब है.
मेरे जख्मों की नुमायश और मत करना, ये जख्म नहीं दुआएँ है
उनकी माँ की खुशियाँ, आँखों की चमक हर जख्म का जबाब है.
उनके सतरंगे सपने, बहेलिया फँसा न सका, आज भी उड़ते हैं
देर सबेर उनके सपनों को ठाँव मिल जायेगा, मैं भी सुस्ता लूंगा
उनके चेहरे पर फैली हर मुस्कुराहट, तुम्हारे जुल्म का जबाब है.
मेरे जख्मों की नुमायश और मत करना, ये जख्म नहीं दुआएँ है
उनकी माँ की खुशियाँ, आँखों की चमक हर जख्म का जबाब है.
उनके सतरंगे सपने, बहेलिया फँसा न सका, आज भी उड़ते हैं
देर सबेर उनके सपनों को ठाँव मिल जायेगा, मैं भी सुस्ता लूंगा
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