Wednesday, 11 March 2015

हमारी शिक्षण ब्यवस्था में ,शिक्षण संस्थाओं में पहले से ही कुछ सांचे बना कर रखे हैं ,आने वाले विद्यार्थियों को बस उन्हीं सेट सांचे में ढाला जाता है - नया कुछ भी नहीं ,कर सकते ,न सोच सकते , -नये के लिये किसी प्रेरणा का नितांत आभाव है .

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