Friday, 9 January 2015

आज समझ में आता है विश्वामित्र तथा वशिष्ठ की प्रतियोगिता .
आज उद्धव तथा बलराम का संघर्ष समझ में आता है .
आज सूत पुत्र कर्ण का अंगद -राज -कर्ण तक का यात्रा वृतांत समझ में आता है .
रानी की कोख से जन्मे राजकुमार और फिर बन गये राजा -- 
आज समझ में आता है मुरा वंशज का राज्यारोहण
-अथवा दास -वंशी का राजा हो जाना 
---- भिश्ती का राजा होना ,
अपने आप के संस्कारों का परिमार्जन करना ,अपने को उपर उठाना ,स्वयं को इर्ष्य-अगन से बचा कर प्रेम तथा सम्मान का अधिकारी बना लेना - कितना कठिन है ---- खास कर यदि यह सब नये सिरे से बिना इतिहास -उत्तराधिकार के करना पड़े तो 

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