Saturday, 10 January 2015

केवल सेवक ही बने रहोगे या कभी सेवा प्राप्त करने वाले भी बनोगे .
 सेवा खरीदने वाला तो कोई भी बन सकता है . सेवा खरीदने के लिये तुमने पैसे कहाँ से लाये लगभग कोई नहीं पूछता .
पैसा तो कोई भी कहीं से भी ला सकता है .जरा सा जी कड़ा किया ,नक् बंद किया ,इज्जत की चद्दर को थोड़ी देर किनारे रखा ,और उतर गये गंदगी में , लगे बेचने - फिर चाहे जो बिक जाये - जिस चीज का खरीदार मिला उसे ही व्ही बेच दिया भांजा लिया और फिर मुंह छिपाए चले आये , कहीं छिप क्र्न्हा धो लिया ,फैनाफैं कपड़े कलफ क्रीज वाले ,पहने ,इतर फुलेल लगाया , टोपी , कलंगी सजाई ,दस पांच मॉल खरीदी ,पहनने वाले खरीदे ,दो चार भात खोजे ,विरुदावली लिखवाई बस हो गया -अब सेवा खरीदिये .
एक दूसरा रास्ता है - सेवा का समर्पण पाना , सेवा करने वाला खुद आता है आपकी सेवा करने ,आरती करने , पूजा करने , आप तो बस सेवा योग्य आचरण करते हैं
दुसरे वाले रास्ते पर चल क्र्सेवा प्राप्य करने की आपकी इच्छा नही होती क्या .
हाँ , यह दूसरा रास्ता कठिन है .इस पर चल कर तो देखिये . बड़ा संतोष मिलेगा.

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