भूत ,भविष्य एवं वर्तमान सदैव समानांतर चलते ही रहते हैं ,भूत सदैव वर्तमान के लिए निरंतर मजबूत नींव तैयार करता रहता है और् वर्तमान भविष्य का निरंतर स्वागत, भविष्य निरंतर भूत को धन्यवाद देता रहता है . इनमे से कभी कोई रुका नहीं हैं ,न रुका था ,न रुकेगा- तीनो ही सदैव आगे बढ़ते रहते हैं .
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