Friday, 5 December 2014

अँधेरा न होने पाये ,चलो उठ चलते हैं
अभी भी और चलना है , उठ चलते है

ठोकर ही खायी है , सम्भले भी तो हैं न
गिरा दिया जाये ,उससे पहले चल देते हैं .

सम्भाल कर रखा जिसे बड़े जतन से आजतक
कोई उसे दाग लगाये, इसके पहले चल देते हैं .

तुम्हारे इरादे ठीक नहीं लगते , ये कालिख ?
तुम सफल हो , इसके पहले हम चल देते है

काली रात हो तो हो ,चलो उठ चलते है
कालिख चेहरे पे आये उससे पहले चलते हैं



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