Thursday, 11 December 2014

बिना इन्स्युरेंस के सडकों पर गाड़ी चलती है , फर्जी लाईसेंस पर ड्राईवर गाड़ी चलाते हैं, सडकों पर , गाड़ियाँ रजिस्टर्ड है फर्जी नामों पर -चलता है --
- अब इन परिस्थियों पर मोटर-गाड़ियों से हादसे होते ही रहते है -
- और पीड़ित अथवा उसके आश्रित अपने आप को नितांत असहाय पाते हैं ,
सब विधि , --- ट्रांसपोर्टर, टैक्स लेने वाला राज्य,नियम लागु करने वाली व्यवस्था सभी केवल पीड़ित का मजाक उड़ाती प्रतीत होती है --- सडकों का यह बढ़ता खतरा पीड़ित के शोषण के कारण पीड़ित के लिए श्राप तथा ट्रांसपोर्टर, इन्स्युरेंस, सरकार के लिए कमाई !!!!
पीड़ित के शोषण के लिए सब मिले हुए हैं ,इसी लिए इस खतरे को वास्तव में मैनेज करने की कोइ ब्यवस्था ही विकसित नहीं की जा रही .
सबसे अधिक दुर्गति ग्रामीण परिवेश में ग्रामीणों के साथ हुए हादसों के कारण होती है- और यह ब्यवस्था पीड़ित से सबूत मांगती है - गलती करने वाले की सजा पीड़ित को दी जाती है .
गलती करने वाले की सजा पीड़ित को दी जाती है!!!!!
क्यों ??????
सब मिले हुए हैं.
मैं फिर कहता हूँ- सब .
आप समझे की नहीं ?

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