Wednesday, 10 December 2014

उबाल कर अपने सपने .छिल साफ कर लिया हूँ
ग्राहक को पसंद आने लायक काट सजा लिया हूँ .

पर अब ये उबले सपने ,बाजार में बेचे जा सकेंगें
पर इन से अब जिन्दगी, हकीकत नहीं जन्मेगी .

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