कटाक्ष मुझे सुहाते नहीं ,चिकोटी काटना , तिलमिलाते देखना ,न जाने क्यों मेरी फितरत में ही नहीं .
सीधी बात समझता हूँ ,समझाने की कोशिश सीधे करता हूँ ,मेरी बात जैसी होती है उसका उपर-अंदर -तासीर भी वैसी ही , वही जो दिखती-बोलती है .
मुझे बातों का छद्म रूप विचलित कर देता है .
बात वही जो जैसी है ,वैसी ही कही जाये ,सुनी जाये , समझी जाये .
सीधी बात करना , कहना , बोलना , समझना उतना भी सहज नहीं है क्यों कि मैं ,वे और आप उतने भी सीधे नहीं हैं की सीधी बात पचा पाये .
फिर सीधी बात पहचानना भी मुश्किल है .
जिसे देखो वही टेढ़ी मेढ़ी बाते करता, करता , फैलाता मिलता है .
सीधा सपाट जैसा है बोलो , लिखो , कहो , सुनो - बिना ब्यंजना -लक्षणा के ,उसे सन्दर्भ के साथ याद नहीं रखना पड़ता .
सीधी बातों का वजन आप पर नहीं पड़ता , आप हल्के बने रहते हैं. मन भारी नहीं होता .
सीधी बात समझता हूँ ,समझाने की कोशिश सीधे करता हूँ ,मेरी बात जैसी होती है उसका उपर-अंदर -तासीर भी वैसी ही , वही जो दिखती-बोलती है .
मुझे बातों का छद्म रूप विचलित कर देता है .
बात वही जो जैसी है ,वैसी ही कही जाये ,सुनी जाये , समझी जाये .
सीधी बात करना , कहना , बोलना , समझना उतना भी सहज नहीं है क्यों कि मैं ,वे और आप उतने भी सीधे नहीं हैं की सीधी बात पचा पाये .
फिर सीधी बात पहचानना भी मुश्किल है .
जिसे देखो वही टेढ़ी मेढ़ी बाते करता, करता , फैलाता मिलता है .
सीधा सपाट जैसा है बोलो , लिखो , कहो , सुनो - बिना ब्यंजना -लक्षणा के ,उसे सन्दर्भ के साथ याद नहीं रखना पड़ता .
सीधी बातों का वजन आप पर नहीं पड़ता , आप हल्के बने रहते हैं. मन भारी नहीं होता .
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