बहुत से हुए ,कुछ जन्म से ,कुछ चक्र से ,कुछ कुचक्र से ,कुछ इत्तेफाक-संयोग से , कुछ बिना-विचारे, अचानक , कुछ तो हो गए पर न उन्हें कभी उम्मीद थी , न कुछ किया था , न सोचा था - बीएस हो गये - हुए तब भी नहीं पता था ,होने के बाद जब न रहे तब भी नहीं पता , होने के पहले तो कुछ था ही नहीं . पर हुए थे - हो गये ! क्यों हुए ,कैसे हुए - न पता है न बताया जा सकता है . ऐसों का होना एक घटना है ,या दुर्घटना या षड्यंत्र ,होनी है या अनहोनी , यह कैसा जोड़-घटाव-दूना भाग है - यह सब सही सही कोइ नहीं बताता . कैसे कैसे होते है और हो ही जाते है .कैसे होते हैं - यह रहस्य है .होना या हो जाना एक कला है
बहुत से थे जो नहीं हो पाये .
बहुत से हैं जो साफ-साफ- दीखते-दिखाते हुए और होने के बाद हो कर ही रहे .
बहुत से हैं जो न होने के बाद भी बहुत हो कर रहे . उनका न होना बहुतों के होने से अच्छा . वे हुए तो नहीं पर आज भी है .
बहुत थे जो हुए और हो चूकने के बाद कभी नहीं रहे. वे न होने के पहले थे न बाद में .
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