गलतियों को हल्के में लेने वाले गलतियां करते रहते हैं , गलतियाँ करने के बाद बाद भी हँसते रहते हैं , उन्हें ऐसी ही आदत पड़ ही जाती है। वे अपनी गलतियों पर शर्मिंदा होने तक की जरूरत नहीं समझते। बस हल्के बेशर्म तरीके से हंस कर सब कुछ मानो उड़ा देते हैं। गलतियाँ उन्हें कुछ नहीं सीखा नहीं पाती। वे खुद भी अपनी गलतियों से भी कुछ न तो सीखना चाहते हैं , न सीख ही पाते हैं।
और वे जो गलतियों से बचना चाहते है , वे छोटी छोटी गलतियों को ही अपना शिक्षक बना हर गलती से सीखते ही चले जाते हैं - यही पूर्णता का रास्ता है।
और वे जो गलतियों से बचना चाहते है , वे छोटी छोटी गलतियों को ही अपना शिक्षक बना हर गलती से सीखते ही चले जाते हैं - यही पूर्णता का रास्ता है।
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