क्या क्रिकेट इस देश का संविधान है - जिसने भी संविधान के नाम से सपथ ली वह क्रिकेट की रक्षा का भार उठा लेता है।
क्रिकेट हमारे देश के कितने संसाधन एवं उत्पादक मानवीय अथवा संस्थनिक समय का उपभोग करता है - कभी सोचा है। जिसे देखो वह क्रिकेट को बचाने की बात करता है , क्रिकेट को बढ़ाने की बात करता है।
यह केवल एक खेल ही है न भाई कि और कुछ।
अजीब है यह क्रिकेट - जब देखो यह खेल हो कानून से ऊपर - कानून से बाहर।
जब मर्जी कोर्ट से बाहर , मर्जी कोर्ट के अन्दर।
यह खेल ही है न भाई या पीछे कोई खेल है !!!
सभी क्रिकेट की रक्षा करना चाहते हैं , क्रिकेट वाले की ही बात करना चाहते हैं।
क्रिकेट कब , क्यों , कैसे , किसके साथ , किसके लिये , कहाँ , किसके द्वारा और अनंत आयाम हैं क्रिकेट के जिससे सभी जुड़ना चाह रहें हैं भाई।
देश में , विदेश में , संसद में , कोर्ट में , व्यापार में , व्यवहार में , जुए में , खेल में , जेल में ,शहर में -देहात में , मंत्री में -संत्री में , अभिनेता में , नेता में , अलंकार में , पत्रकार में ,कविता में , पत्रिका में , फिल्म में , टी वी में , न्यूज में , भ्यूज में ,, स्कूल में , कालेज में , झड़े में झंझट में , पर्दे के आगे , पर्दे के पीछे , ऐसे में , वैसे में , पैसे में , योजना में , परियोजना में - सर्वब्यापी हो चूका यह क्रिकेट।
यह केवल एक खेल ही है न भाई कि और कुछ।
यह खेल ही है न भाई या इसके आगे - पीछे; अन्दर -बहार कोई और खेल है !!!
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