Tuesday, 22 April 2014

साफ सुथरा , सीधा ,मेहनती आदमी  झूठ फरेब ,दांव पेंच  को समझ ही नहीं पाता और कुटिल प्रवृत्ति के लोग या तो ऐसे लोगों का बखूबी इस्तेमाल कर लिया करते हैं।
यदि इस्तेमाल करने में मुश्किल पेश आती है तो उसे किनारे या ठिकाने लगा दिया जाता है।
कुटिलता सभी के बस की बात नहीं .
शिखर तक के रास्ते सीधे,साफ-सुथरे नहीं होते।
इन रास्तों तक तो पहुंचा जा सकता है पर इन रास्तों पर चल कर शिखर तक पहुंचाना सभी के बस की बात नहीं।
इन रास्तों पर चलने का अलग ही हुनर होता है।  कुटिलता का अपना ही व्याकरण है।
अपने मापदंड !अपनी परिभाषा।
वह प्रिय हो या अप्रिय ,उचित हो या अनुचित ,नैतिक हो या अनुचित , शिखर तक पहुँचने का वह रास्ता है , वही एक रास्ता  है और उसे जानना ,सीखना चाहिए अन्यथा एक महत्वपूर्ण योग्य्ता से वंचित रह जायेंगें।
जो इस रास्ते नहीं चले वे किनारे लगते गये।

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