Thursday, 17 April 2014

मेरी दांत काटी रोटी
मेरी झूठी थाली
बहुत देर से वह टुकुर टुकुर ताक रहा था .
पलके झपका ,गर्दन हिला
जो इधर आने का इशारा किया
कांप गया उसका बालमन
दर गया ललचाया मन
कांपते पांव ,झुकी गर्दन
खिसकता सा वह नजदीक आया
पलके झपका ,गर्दन हिला
उसे जो खाने  का इशारा किया
कांप गया उसका बालमन
विश्वास नही कर सका उसका तन मन
ढाढ़स बंधा ,पास बुलाया
मेरी दांत काटी रोटी
से उसे खिलाया
अब उसकी दांत काटी रोटी
से जब मैंने खाया
मेरी झूठी थाली
अब उसकी भी जूठी थाली थी
वह कभी रोया ,फिर गुनगुनाया
बुदबुदाते हुए लगा नाचने
मैं उसका हुआ उसने  मुझे अपना बनाया
एक रोटी के टुकड़े ने
तोड़ दी दीवारें
मैं हुआ उसका
वे हैं हमारे .

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