सदियों पहले बिकता था इन्सान
विवाह -बाजार में निर्वस्त्र
अट्टहास करते उत्साहित नर -पशु
इंसान, इन्सान नहीं वस्तु था
क्रय -विक्रय और संपत्ति था
पर तब भी इंसानी जिस्म भर ही था
नुमाइश जिस्म की तिजारत भी उसी की .
आज तो हद हो गई ,हद के भी पार
इन्सान की हर चीज के अलग अलग बाजार सजे हैं
इंसानी विकृतियों का लाइव बाजार ,
मजबूर इन्सान की आर्ट गैलेरी
भूखे इन्सान की पेंटिंग
गर्म गोश्त से सजे बिस्तर
इंसानी गरिमा का नया बाजार
टी वी के न्यूज चैनल
नया अभी अभी रचा गया नया कुमार-सम्भवम
रचयिता टी वी के न्यूज वाचक
सह -रचयिता - टी वी वार्ता -पेनलिस्ट
इंसानी मनोभावों का नीलाम घर
टी वी सीरीअल
नवीनतम मानव गरिमा का शब्द वेधी बाजार
कोमेडी सीरीअल या हास्य कविता
खबर लगी है इन बाजारों के कम्पीटीशन से
घबरा कर खजुराहो कोणार्क ने खुदकशी करी है
बाजार में उनकी खुदकशी के लाइव प्रसारण हो रहे हैं
मेरे ही व्यक्तित्व की चटपटी चाट भी खूब बिक रही है
आपकी , स्वामिनाथ मन्दिर की ,बापू की ( दोनों बापू की )
मसालेदार ठंडाई भी इ-मार्किट में डिमांड में है
और तो और न्यायलय को भी बाजार बना देने का
या कानून और न्यायलय को ही बाजार में ले आने का
इ-प्रोजेक्ट तैयार है -कास्टिंग हो चली है
बैनर बन कर हर नुक्कड़ पार लग चुके हैं
पुरे पृष्ठ के विज्ञापन भी सैटल हो चुके है
मानव व्यापर में आदिम युग क्या खाक हमारा मुकाबला करेगा
किडनी बाजार ,हड्डी बाजार , आँख बाजार ,
मानव के हर अंग के हर रंग के बाजार ,ब्यापार और ब्यापारी
नीलामी पर चढ़ी हमारी आपकी इज्जत
बोली लगाते , लगवाते हम और आप
इंसान और इंसानियत का बाजार बड़ा हो गया है
रोजगार ,भारी नफे की अनंत संभावनाएं दिख रही है
हम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं
हमारे अपनों का बाजार
बिकते हुए हम और हमारे अपने
लॉन्ग लिव टी वी और ई मार्केटिंग .
विवाह -बाजार में निर्वस्त्र
अट्टहास करते उत्साहित नर -पशु
इंसान, इन्सान नहीं वस्तु था
क्रय -विक्रय और संपत्ति था
पर तब भी इंसानी जिस्म भर ही था
नुमाइश जिस्म की तिजारत भी उसी की .
आज तो हद हो गई ,हद के भी पार
इन्सान की हर चीज के अलग अलग बाजार सजे हैं
इंसानी विकृतियों का लाइव बाजार ,
मजबूर इन्सान की आर्ट गैलेरी
भूखे इन्सान की पेंटिंग
गर्म गोश्त से सजे बिस्तर
इंसानी गरिमा का नया बाजार
टी वी के न्यूज चैनल
नया अभी अभी रचा गया नया कुमार-सम्भवम
रचयिता टी वी के न्यूज वाचक
सह -रचयिता - टी वी वार्ता -पेनलिस्ट
इंसानी मनोभावों का नीलाम घर
टी वी सीरीअल
नवीनतम मानव गरिमा का शब्द वेधी बाजार
कोमेडी सीरीअल या हास्य कविता
खबर लगी है इन बाजारों के कम्पीटीशन से
घबरा कर खजुराहो कोणार्क ने खुदकशी करी है
बाजार में उनकी खुदकशी के लाइव प्रसारण हो रहे हैं
मेरे ही व्यक्तित्व की चटपटी चाट भी खूब बिक रही है
आपकी , स्वामिनाथ मन्दिर की ,बापू की ( दोनों बापू की )
मसालेदार ठंडाई भी इ-मार्किट में डिमांड में है
और तो और न्यायलय को भी बाजार बना देने का
या कानून और न्यायलय को ही बाजार में ले आने का
इ-प्रोजेक्ट तैयार है -कास्टिंग हो चली है
बैनर बन कर हर नुक्कड़ पार लग चुके हैं
पुरे पृष्ठ के विज्ञापन भी सैटल हो चुके है
मानव व्यापर में आदिम युग क्या खाक हमारा मुकाबला करेगा
किडनी बाजार ,हड्डी बाजार , आँख बाजार ,
मानव के हर अंग के हर रंग के बाजार ,ब्यापार और ब्यापारी
नीलामी पर चढ़ी हमारी आपकी इज्जत
बोली लगाते , लगवाते हम और आप
इंसान और इंसानियत का बाजार बड़ा हो गया है
रोजगार ,भारी नफे की अनंत संभावनाएं दिख रही है
हम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं
हमारे अपनों का बाजार
बिकते हुए हम और हमारे अपने
लॉन्ग लिव टी वी और ई मार्केटिंग .
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