सच्चाई के रास्ते में बहुत कड़ी धूप रहती है, आजू बाजू कोई पानी भी पिलाने वाला नहीं मिलता, सुस्ताने की-छाँव वाली कोई जगह नहीं। रास्ते भर स्वार्थी मक्कार जंगली जानवरों की मक्कारी से भरा अंधकार और सन्नाटा। आत्मविश्वास और सतोष के साथ अकेले ही चल सकते हैं तो स्वागत है, पर खतरे तो हैं।
No comments:
Post a Comment