Friday, 24 May 2019

जिनकी जड़ें नहीं होती वे किसी सीलन भरी जमीन के आस पास जमीन में सप्रयत्न गड़ कर टहनी से ही अपनी जड़ें निकाल लेते है। जिस टहनी पर पत्तियाँ, फूल, फल शोभती थी , सुबह की धूप, चिड़ियों का नाच होता था, बरसता था हर नक्षत्र की वर्षा का जल वह जमीन में दब गड़ कर क्या भोगती है, केवल वही जानती है क्योंकि उसे वहीं से जड़े फिर से एक बार निकाल नया जीवन शुरू करना ही होगा।

Tuesday, 21 May 2019

अपराधियों को आकर्षित करने, लोभ, प्रमाद, उत्तेजना वश उनकी संगति से, सलाह से, आकर्षण से, प्रभाव से बचे।
अपराध न करें,
न अपराधी की संगति करें।
उत्तेजना में भी नहीं।
अपराधियों को हमारा कमजोर चरित्र, उफनता लोभ, बे लगाम काम, बेकायदा क्रोध औऱ बेसिक अहंकार निमंत्रित करता है।
सामान्यतः वे बिना बुलाये नहीं आते।
हमारा आचरण उन्हें निमंत्रित करता है।
कोई जाने या न जाने, भुक्त भोगी जानता है।
उत्तेजना में अधिकतम सावधानी। शिकारी आएगा, उत्तेजित करेगा, शिकार कर ले जायेगा। धन ,साधन, दिल, दौलत, मान, सम्मान, , जान, परिवार कुछ भी ले जायेगा, आप किसी को सच सच पूरा पूरा कुछ भी बताने लायक नहीं रह जाओगे।
उफने तो आप, बहे तो आप, आपा तो खोया आपने, आपको पता भी चला कि खाम खाह क्यों कमजोर हुआ।
पर अब आप अंदर ही अंदर घुटने, अपने को ही कोसने के सिवा कर ही क्या सकते हो।
मैं तो आपको पूरी तरह जानता भी नहीं। मैं सीधे आप से कैसे सम्बोधित !
हाँ, में संवाद करते रहता हूँ। यदि आपको आपके प्रयोजन का कुछ मील ही जाए तो आश्चर्य किये बिना अपने विवेकानुसार प्रयोग करें। मैं तो हूँ ही।
आप ही नहीं !
बहुत से मित्र आप ही कि तरह से मुझे पूछते रहते हैं।
यह मेरे लिये अस्वाभाविक प्रश्न नहीं है।
शेष शुभ।
सदा उपलब्ध।
🙏🙏
एक पार्टी का वफादार नहीं बने रहना चाहिए
अपराधियों को हमारा कमजोर चरित्र, उफनता लोभ, बे लगाम काम, बेकायदा क्रोध औऱ बेसिक अहंकार निमंत्रित करता है।
सामान्यतः वे बिना बुलाये नहीं आते।
हमारा आचरण उन्हें निमंत्रित करता है।
कोई जाने या न जाने, भुक्त भोगी जानता है।

Tuesday, 14 May 2019

I am a passionate teacher, I am a crazy hard task master, many students call me sadist. Many hate me for my arrogance and sense of sarcasm.
Like that Gulmohar on my memory campus who is on full bloom today and soon his flowers will be gone.
His leaves will dry and we all will wait for the rains.
As new leaves will adorn that Gulmohar, at campus, a new life, a new world of memories, a new journey of reflections will begin with new ........ till that next ....... day.
बचपन में मेरी माँ से सुना था कि लोग मकान बनवाते थे और रौशनी के लिए कमरे में दीपक रखने के लिए दीवार में इसलिए दो मोखे बनवाते थे क्योंकि माँ का
कहना था कि बेचारा अकेला मोखा गुमसुम और उदास हो जाता है।

मुझे लगता है कि संसार में किसी को अकेलापन पसंद नहीं।

_*आदमी हो या पौधा, हर किसी को*

_*किसी न किसी के साथ की ज़रुरत होती है।*
गलतियों को नजरअंदाज करना आत्महत्या के बराबर है।
सावधान रहिये।
मेरी बात मुझी से कहते रहे यार,
में तो यारी के ख्वाबों में डूबा रहा,
कब समझ ही पाया, कब कह पाया
😔😔
हारने के पहले बस एक बार खबर जो होती,
मेरे यार या तो जीत होती, हार तो न होती,
गर हार ही लिखा आयें है हम, तो हार दोगुनी होती।
Education is not just filing, indexing and piling up of information but the opening of newest imagination that can have more harmonization with nature not only across the globe but the entire cosmos that must create everlasting bonds between generations.
सच्चाई  के रास्ते में बहुत कड़ी धूप रहती है, आजू बाजू कोई पानी भी पिलाने वाला नहीं मिलता, सुस्ताने की-छाँव वाली कोई जगह नहीं। रास्ते भर स्वार्थी मक्कार जंगली जानवरों की मक्कारी से भरा अंधकार और सन्नाटा। आत्मविश्वास और सतोष के साथ अकेले ही चल सकते हैं तो स्वागत है, पर खतरे तो हैं।
उन्नति, प्रगति, विकास की राहों में बाधा तो आयेंगी, विरोधी भी होंगे, प्रतियोगी भी होंगे, सदैव सब कुछ नैतिक ही होगा, उचित ही होगा, न्यायपूर्ण ही होगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं दे सकता। हर एक अपने लक्ष्य की पुर्ति के लिए पुरजोर, हरसम्भव, हरप्रकार से प्रयास तो करेगा ही। उसे अधिकार भी है। आत्मरक्षा और स्व के विकास, वैभब के लिये सभी उपलब्ध मार्ग उसके अपने विवेक से उपयोग करने का। समाज थोड़ा बहुत डरा, धमका सकता है, दण्डभय दिखा सकता है। पर आपको तो उनको झेलना ही पड़ेगा। समाज जो करेगा, वह तो बाद की बात है। पहले तो आप पर उचित, अनुचित, अनैतिक सबकुछ गुजर चुका होगा। उन्नति के मार्ग के ये स्वाभाविक रोड़े, ब्यवधान हैं।
इन्हें पार लगा कर ही सफल हुआ जा सकता है।

Friday, 3 May 2019

Commission, brokerage, handling charges, publicity charges, hospitality and canvassing charges, customer awareness expenses and further other similar expenses heads are cost or chartered accountant's brainchild to create additional overheads, unverifiable expenses head, arbitrary discretionary beneficiary creation manipulative mind price and thereby artificially escalate the cost at different stages. These imaginary costs are supported with vouchers and identifiable individual and a cross entry, or transaction. A part of such shown to be expenses are returned to the benevolent original source with real track or evidence.
Similarly Accommodation Bills are another such fraudulent voucher supported accountant's brainchild which are used to inflate the balance sheet and increase the transactions artificially. Surprisingly enough when these ghost transactions were challenged by the revenue officials, the courts always favoured the makers.
Benifit of doubt is the pleasure treasure of all law breakers.
State and enforcement people are always declared autocratic idiots.