जिन्हे दान ही नहीं लेना वे सहानुभूति का क्या करेंगे ? विदाई वेला में कृपा , प्रेम , सहानुभति मिले भी तो क्या ?
अब और नहीं सालते तंज़ और मज़ाह , सारी जिंदगी बीती है इन्हीं के बीच !!
अहंकार कुलीन घर की कनीज़ है।
मेरे बुहारे रास्ते से भी छूत लगे तो मैं क्या करूँ।
मेरे बारे दिये की रौशनी से भी छूत लगे तो मैं क्या करूँ।
अब और नहीं सालते तंज़ और मज़ाह , सारी जिंदगी बीती है इन्हीं के बीच !!
अहंकार कुलीन घर की कनीज़ है।
मेरे बुहारे रास्ते से भी छूत लगे तो मैं क्या करूँ।
मेरे बारे दिये की रौशनी से भी छूत लगे तो मैं क्या करूँ।
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