Tuesday, 30 May 2017

प्रकृति , जगत , हम- तुम , जल-थल-नभ -खग -मृग - ताल -तलैया -नदी -नाले -पहाड़ -वृक्ष - गाँव- जंगल , वर्षा -बयार , बसन्त -बहार , पसीना - हँसी , - उबासी-उबकाई , दौड़ना -झपट्टा मारना , जीना -मरना -- यह सब पसरा सामने यह सत्य ही तो है -- शेष कल्पना , बस इतना ही !

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