Thursday, 18 February 2016

समय माँगना नहीं , समय देना सीखो, अपाइन्टमेंट लेने के लायक बनने से अच्छा है लोगों को अपाइन्टमेंट देने के लायक बन जाओ.
अपनै आप में थोड़ा और मूल्य , उपयोगिता पैदा करना सीखो- वह भी औरों से अलग , विलक्षण.
शुरआत में अपने आप से ही डर, दूसरों से उपहास , बाद में उपेक्षा, आगे मिलेगी आलोचना, फिर छिद्रान्वेषी शोध- तब जाकर धिरे धीरे मजबूर होते होते बुझे मन से स्वीकार्यता की और और इसी दौर में छल, प्रपंच, दबाव, लोभ-लालच, भय.
पर इसी क्रम से गुजर जाने की हिम्मत होनी ही चाहिये.
बस यही है रास्ता - दूसरा कोई विकल्प नहीं.

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